Kanha

Gulzar, Sajid Khan, Wajid Khan, Sajid Naeem Khan

पवन उड़ावे बतिया हो बतिया
पवन उड़ावे बतिया
टीपो पे ना लिखो चितीया हो चितीया
टीपो पे ना लिखो चितीया
चितियो के संडेसे वीदेसे जावेंगे चलेंगी च्चतिया
चितियो के संडेसे वीदेसे जावेंगे चलेंगी च्चतिया

कान्हा बैरन हुई बाँसुरी
हो कान्हा तेरे आधार क्यू लगी
अंग से लगे तो बोल सुना गये
भाए ना मो लगे कान्हा
दिन तो कटा संज कटे, कैसे कटे रतिया

पवन उड़ावे बतिया हो बतिया
पवन उड़ावे बतिया
टीपो पे ना लिखो चितीया हो चितीया
टीपो पे ना लिखो चितीया
चितियो के संडेसे वीदेसे जावेंगे चलेंगी च्चतिया
रोको कोई रोको दिन का डोला रोको
कोई डूबे कोई तो बचावे रे
माथे लिखे मारे करे आँधियरे
कोई आवे कोई तो मितवे रे
सारे बाँध है किवादे कोई आरे है ना पारे
मेरे पैरो मे पड़ी रसिया

कान्हा तेरे ही रंग मे रंगी
हो कान्हा सांझ की च्चब सवारी
सांझ समय जब सांझ लिपतवे, लज्जा करे बावरी
कुछ ना कहे अपने आप से, आप ही करे बतिया

दिन तेरा ले गया सूरज, छ्चोड़ गया आकाश रे
आई कान्हा कान्हा कान्हा

Wissenswertes über das Lied Kanha von Rekha Bhardwaj

Wer hat das Lied “Kanha” von Rekha Bhardwaj komponiert?
Das Lied “Kanha” von Rekha Bhardwaj wurde von Gulzar, Sajid Khan, Wajid Khan, Sajid Naeem Khan komponiert.

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