Na Boloon Gi
ना बोलूं गी ना बोलूं गी
ना बोलूं गी ना बोलूं गी
ना बोलूं गी
उनके मनाए बिना
उनके मनाई बिना
ना मानूँगी ना मानूँगी
ना मानूँगी
कोई लाख मनाए मुझे
कोई लाख मनाए मुझे
ना बोलूं गी ना बोलूं गी
ना बोलूं गी
रातों को जागते होये
गलिओं में भागते होये
इटों से पैर चील गये हो
आँखों से देखते होये
साँसों को रोकते होये
कितने सूरज गँवा दिए हो
ख्वाबों का दर ने ही खोल
उनके मनाए बिना
उनके मनाए बिना
ना मानूँगी ना मानूँगी
ना मानूँगी
ना सोचूँगी ना सोचूँगी
ना सोचूँगी ना सोचूँगी
ना सोचूँगी
उनके बताए बिना
उनके बताए बिना
ना मानूँगी ना मानूँगी
ना मानूँगी
काँटों पे चल के ज़िंदगी
घुटनों के बाल पे गिर गयी
हम फिर भी मुस्कुरा डीई हो
तितली के पर कुचल गये
ज़ख़्मों के रंग धूल गये
गीले कापरे सूखा लिए हो
जागो का दर ना ही खोल
उनके मनाए बिना
उनके मनाए बिना
ना मानूँगी ना मानूँगी
ना मानूँगी
कोई लाख मनाए मुझे
कोई लाख मनाए मुझे
ना बोलूं गी ना बोलूं गी
ना बोलूं गी