Gulon Main Rang Bhare

Faiz Ahmed Faiz

गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
चले भी आओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले

क़फ़स उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले
चले भी आओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ
हमारे अश्क तेरी आकबत सँवर चले
चले भी आओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

कभी तो सुबह तेरे कुंज-ए-लब से हो आग़ाज़
कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्कबार चले
चले भी आओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले

मकाम 'फ़ैज़' कोई राह में जँचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले
चले भी आओ के गुलशन का कार-ओ-बार चले
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले

Wissenswertes über das Lied Gulon Main Rang Bhare von मेहदी हस्सान

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Das Lied “Gulon Main Rang Bhare” von मेहदी हस्सान wurde von Faiz Ahmed Faiz komponiert.

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