Yeh Kagazi Phool Jaise Chehre

Fayyaz Hashmi

ये लोग पत्थर के दिल है जिनके
नुमाइशें रंग में है डूबे
ये कागज़ी फूल जैसे चेहरे
मज़ाक उड़ाते हैं आदमी का
इन्हे कोई काश ये बतादे
मक़ाम ऊँचा है सादगी का

इन्हे भला ज़ख़्म की खबर क्या
के तीर चलते हुए ना देखा
उदास आँखों में आरज़ू
का खून जलते हुए ना देखा
अंधेरा छाया है इन के आगे
हसीन घफलत की रोशनी का
ये कागज़ी फूल जैसे चेहरे
मज़ाक उड़ाते हैं आदमी का

ये सहले गुलशन में जब गए हैं
बहार ही लूट ले गए हैं
जहाँ गए हैं ये दो दिलों का
करार ही लूट ले गए हैं
के दिल दुखाना है इन का शेइबा
इन्हे है इहसास कब किसी का
ये कागज़ी फूल जैसे चेहरे
मज़ाक उड़ाते हैं आदमी का

में झूठ की जगमगाती महफ़िल
मै आज सच बोलने लगा हूँ
मै होके मजबूर अपने
गीतों में ज़हर फिर घोलने लगा हूँ
ये ज़हर शायद उडादे नशा
घुरूर में डूबी ज़िंदगी का
ये कागज़ी फूल जैसे चेहरे
मज़ाक उड़ाते हैं आदमी का
इन्हे कोई काश ये बतादे
मक़ाम ऊँचा है सादगी का
ये कागज़ी फूल जैसे चेहरे

Wissenswertes über das Lied Yeh Kagazi Phool Jaise Chehre von मेहदी हस्सान

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Das Lied “Yeh Kagazi Phool Jaise Chehre” von मेहदी हस्सान wurde von Fayyaz Hashmi komponiert.

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