Taras Na Jao

Qateel Shifai, Kuldeep Singh

तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
किसी से प्यार ना कर बैठ ना
किसी से प्यार ना कर बैठ ना
खुदा के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं

ये अपना शहेर हसीन
क़ातीलो की बस्ती है
ये अपना शहेर हसीन
क़ातीलो की बस्ती है
मोहब्बतो को यहाँ
ज़िंदगी तरसती है
सितम हज़ार सहोगे
सितम हज़ार सहोगे
एक आशना के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं

वफ़ा तलाश ना करना
कभी हसीनो में
वफ़ा तलाश ना करना
कभी हसीनो में
के दिल नही कोई पथर
है इनके सीनो में
ये लोग तो हैं सितम के लिए
ये लोग तो हैं सितम के लिए
ज़फ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं

तुम अपनी आहों में
कोई असर ना पाओगे
तुम अपनी आहों में
कोई असर ना पाओगे
वोही हासेगा जिसे
ज़ख़्मे दिल दिखाओगे
उठा सकोगे ना फिर हाथ ही
उठा सकोगे ना फिर हाथ ही
डुआं के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
किसी से प्यार ना कर बैठ ना
किसी से प्यार ना कर बैठ ना
खुदा के लिए
तरस ना जाओ कहीं
मंज़िले वफ़ा के लिए
तरस ना जाओ कहीं

Wissenswertes über das Lied Taras Na Jao von Ashok Khosla

Wer hat das Lied “Taras Na Jao” von Ashok Khosla komponiert?
Das Lied “Taras Na Jao” von Ashok Khosla wurde von Qateel Shifai, Kuldeep Singh komponiert.

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